गिरमिटिआ श्रमिक प्रणाली के उन्मूलन मे महात्मा; गांधी की भूमिका
Abstract
पाष्चात्य देषों मे दास प्रथा समाप्त होने के बाद भारत और चीन देशों से श्रमिको को ले जाया गया इन श्रमिक को बंधुआ या गिरिमिटिआ श्रमिकों के नाम से जाना जाता है । इन श्रमिको का उत्प्रवास पभारत के प्रान्तो से अधिकतर हुआ था । यह श्रमिक नेटाल पिजी रियूनियन सीलोन ब्रिटिष गुयाना इत्यादि गन्ना कोलोनियों मे ले जाऐ गये । यहॉ पर इन श्रमिको की अनेक समस्याऐ थी । मोहन दास करमचंद गांधी जब दक्षिण अफ्रीका मे एक मुकदमे के सिलसिले मे आऐ तो उन्होने इन श्रमिको की समस्याओं को देखा अौर इसके विरोध मे आवाज उठाई । इंडियन ओपेनियन नाम से समाचार पत्र निकाला और फीनिक्स आश्रम की स्थापना की जिसके व्दारा इन्होने वहॉ पर रह रहे भारतीयों की स्थित का सभी लोगो को आभास कराया । दक्षिण अफ्रीका मे रहते हुए गांधी जी ने अपना पूरा ध्यान इन गिरिमिटिआ श्रमिको व वहा पर रह रह रहे स्वतंत्र भारतीयों के जीवन को सुद्ढ करने मे लगाया था फीर चाहे वह भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने की बात हो या फीर भारतीयों पर लगाए गये टॅक्स का मामला हो या फीर विवाह एक्ट हो । इस प्रकार की सभी समस्याओ से गॉंधी जी ने भारतीयों को आदादीप्रदानकराई जिसे लिए उन्होने वहॉ पर सत्याग्रह किया था ।
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